है जहाँ मतलबी ये दुनिया,
मैं ठहरी श्वेत निश्छल नैया,
मैं कागज की कश्ती वर्षा देखूं या रवैया।
है जहाँ जग बड़ा गवैया,
मैं ठहरी छोटी-सी एक पपैया,
मैं कागज की कश्ती वर्षा देखूं या रवैया।
है जहाँ जग में मैग्गी का बसैया,
मैं ठहरी कच्ची-पक्की मीठी-सी सेवैया,
मैं कागज की कश्ती वर्षा देखूं या रवैया।
है जहाँ जग में लोग बड़े खवैया,
मैं ठहरी निकपट निर्मल-सी मैया,
मैं कागज की कश्ती वर्षा देखूं या रवैया।
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