बंद कर लिए दरवाज़े,नीची करली आवाज़,
ध्यान रहेगा कपडो का चलो मान लिए ये रिवाज़..
पर क्या फर्क पड़ेगा इन सब से जब रत्ती भर की सोच,
शहर रहेगा बिन लड़की तब किसको दोगे दोष.........
वो दिन भी अब दूर नहीं जब मां रोएगी बेटे वाली ,
बिन लड़की जब नपुंसकों से हवस दिखेगी दहशत वाली......!
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