आज भी हमारे समाज में रंग
का ये भेद क्यों,
खूबसूरती का पैमाना काला
या सफ़ेद क्यों।
हम अभी तक गोरे रंग को ही
खूबसूरत मानते हैं,
सीरत नहीं, सूरत को ही सब
कुछ जानतें हैं।
रंगत में उलझी है,ये बदरंग
सी दुनिया,
जिल्द तो सफ़ेद है,पर दिल
काले हैं यहाँ।
गोरा हो या काला सबको
एक ख़ुदा ने ही है बनाया,
हम इंसान ही हैं जिसने ये रंगभेद
का रीवाज है चलाया।
-सूफिया खान
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