अगर शिक्षा गया रसातल में, तो देख लो एक दशक पहले का बिहार...
चमकी, बाढ़ या हो STET, बस गलत क्यु है "निकु-सूमो" दो यार , यहां तो है डबल इंजन की पूरी सरकार....
पता है यहा नहीं खङा होते काबिलियत पे उम्मीदवार... यहा जीतते है बस जातीय ठेकेदार...
एक तरफ़ तेजू भइया का लीला अपरम्पार...
दूजे कन्हैया बस PM का उम्मीदवार...
तीजै काँग्रेस को ले डूबी गांघी परिवार...
चैथे तुम बैठ कर काट रहे अपने ही डाल...
बस जरूरत है इस राजनीति को शिक्षित युवाओ द्वारा देने का नया पहचान...
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