QUOTES ON #BICHADNA

#bichadna quotes

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11 MAR 2021 AT 19:06

जैसे आहिस्ता-आहिस्ता बिछड़ने के
दिन करीब आ रहे हैं
लगता है , जैसे खुद को तोड़ रही हूं मैं !!

अपनी यादों को समेट रही हूं
बिछड़ने केलिए
किसे मालूम फिर किधर मिलूंगी मैं !!

अपना सब कुछ ख़तम होने पर है
फिर भी दर्द छिपा कर मुस्कुरा रही हूं,मैं !!

हौसला नहीं बाकी अब मिलने का
जब बिछड़ना लाज़मी होग्या हो तो !!

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15 MAR 2020 AT 18:14

तुम्हारा ‘तुम’ कहकर
रोज़ झगड़ना मुझसे….
तुम्हारा ‘आप’ कह कर,
बिछड़ने से अच्छा था ....

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6 NOV 2019 AT 8:08

जागे तू मेरे ही लिए तो तेरे बिना मैं सोऊ कैसे
तेरे इश्क़ में हर रोज़ मैं तेरे ही लिए रोऊं कैसे

जब हर अंधेरे में तू मेरा साया बना था
आज उस अंधेरे में मैं रोशनी लाऊ कैसे

अपनी आंखो में आंसू भर तू मुझे मुस्कुराना सिखाता है
तेरी झूठी मुस्कान देख कर मैं अपने आंसू छुपाऊ कैसे

कभी उम्र भर साथ निभाने का वादा करता है तो
कभी साथ छूटने पर जीने का सलिखा सिखाता है
तेरी दो पहलू की बातो पर मैं विस्वास कर पाऊं कैसे

कभी मैं तुझे समझाती हूं तो कभी तू मुझे समझाता है
कोई इस दिल को समझाए कैसे, बिछड़ना लिखा है
नसीब में हमारे, कोई नसीब का लिखा मिटाए कैसे..।।

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23 JUL 2021 AT 22:36

چلو مان لیا بڑی مجبوریاں تھی تمہاری بہت مجبور تھے تم
مگراس مسکراہٹ کا کیا جو بچھڑتے وقت لبوں پر تھی تمہارے
Chalo maan liya badi majboriya thi tumhari bahut majboor the tum,
Magar us muskurahat ka kya.Jo bichadte waqt labo par thi tumhare,
✍️رائٹس۔ناعمہ اصلاحی

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29 AUG 2020 AT 11:01

यूँ साथ चलना
मैं और तुम से हम में बदलना
और फ़िर सपनों की चाहत में
हमारे सपनों का यूँ टूट कर बिखरना
फ़िर हम से मैं और तुम हो जाना
और फ़िर से तेरा यूँ ज़िन्दगी में आना
ना जाने अब फ़िर से मिलना या फ़िर
हमेशा के लिए बिछड़ जाना.....

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18 JAN 2021 AT 10:45

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18 APR 2020 AT 19:14

Na jane kyu tujse milkar tera bichadna yaad ata hai,,,
Jb bhi purani bate yaaden ati hai to jana bhut rona ata hai...
Janti hu tuje to ab sirf nafarat jtana ata hai,,,
Sochti hu fir kya tuje b mera fasana yaad ata hai🤔

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31 OCT 2020 AT 10:42

वक़्त के पहलू बदलने लगे हैं
दूर जो रहते थे कभी...
अब वो करीब रहने लगे हैं

ख्वाहिशों की चाह में...
जो छोड़ आए थे अपनों को कहीं
आज वो हर किसी को अपना कहने लगे हैं

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15 NOV 2019 AT 16:11

"मिलन"

हाँ चलना चाहूँगी साथ,उस क्षितिज के अंतिम पड़ाव तक अनवरत,उंगलियाँ उठा कर जिसे तुम धरती-नभ का मिलन इंगित करते हो।

हाँ गिरना चाहूँगी अविरल साथ तेरे सरिता सा,उस पर्वत से जमी की कोख़ में,जिसे तुम आसमाँ-धरती के मिलन का अभिप्राय मानते हो।

"बिछड़न"

हाँ बहना चाहूँगी उन हवाओं सा अनवरत,जो निश्छल भाव से अपने प्रेमी का उसकी प्रेमिका से मिलन कराती है,जिसे तुम इंगित करते हो एकतरफा प्रेम बारिश का।

हाँ उगना चाहूँगी जंगलो में,बाँस के झुरमुटों सा निरंतर,जो कटीला हो कर भी प्रेम की मधुर ध्वनि प्रसारित करता है जिसे मानते हो तुम राधा-कृष्णा के प्रेम की अमूल्य धरोहर।

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31 JUL 2020 AT 9:55

बहुत अच्छा चल रहा था ये रिश्ता हमारा

बिछड़े इस रफ़्तार से मानो

मै आसमा और वो टूटता तारा

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