इक नाम मैं गुमनाम हूं , मुझको आबाद तुम कर देना । जब लड़ने जाऊं बॉर्डर पे , तिलक मेरा तुम कर देना ।। जब मरू देश के खातिर मैं , बस जिंदाबाद तुम कह देना । जब आए घर शव मेरा तो , बस कफ़न तिरंगा कर देना ।।
हूँ तत्पर हर सेवा के लिये, मै एक वीर जवान हूँ। मातृभूमि की अस्मिता पर मिटता, कतरा कतरा बलिदान हूँ। हूँ चट्टान सा खडा सरहद पर, चमकती दोधारी तलवार हूँ। हर रोज आग मे तपकर बनता, दुश्मन की मौत का हथियार हूँ। मै रक्षक भारत माँ का, हर जुबां पे बसता नाम हूँ। जो बरसूं आग का गोला बनकर, मै ऐसा कोहराम हूँ।
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