उनसे मिल के जो बदलाव आया है,
आज ये पत्थर भी मोम का रूप पाया है....
हमेशा अपने मे जो रहता आया है,
आज वो किसी और को अपना बनाया है....
जिससे राह का पत्थर भी डरता आया है,
आज वो सबकी दुआओं में जगह पाया है....
साथियो से बात करने मे जो हिचकिचाया है,
आज वो राहगीर की भी मदद करने आया है....
एक शुक्रिया बोलने मे जो खुदको छोटा पाया है,
आज वो किसी अपने से माफी लेने आया है....
खुद को जो हमेशा अपना खुदा बनाया है,
आज वो किसी और को खुदा कहने आया है....
सिर्फ अपने किताबों मे जो खोता आया है,
आज वो किसीसे बात करने का बहाना बनाया है....
अकेले रहने मे जो हमेशा शान्ति पाया है,
आज वो किसी और को अपनी दुनिया बनाया है....
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