क्या फर्क पड़ेगा ..
एक ऑक्सीजन सिलेंडर ही तो रखा है
कमाया अखिर किस लिए ,
अब जान भी ना बचाये हद्द है
इंजेक्शन कितनी सेटिंग से मिलता है तुम क्या जानो
पापुलेशन वैसे भी बहुत हो गयी दुनिया में
जिसका हवा पानी में कब्ज़ा होगा , वहीं बचेगा
धरा तो बिक चुकी है पहले से
छल कपट और मौत का तांडव मचेगा
तट पार कोई देख सब ये सुन रहा है
बेगुनाहों की भस्म में सन रहा है
सत्य कि प्रत्यंचा खींच रही है पुरजोर से
तीर कि दिशा तठस्थ हो रही तूफान से
रावण भी था बांधा जल हवा आकाश को
काल छुप रहा देख कर्मा के आगाज़ को
होगा अंत या आरम्भ अब ना सोचना
तीर टिक चुका व्यर्थ है , धरा को खोदना
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