जब खुद ही बनायी अपनी दुनियाँ
तो खुद से ही सवाल करो न
सवाल बहुत हैं तुम्हारे पास
जबाब भी खुद ही ढूंढ लो न
हम तो तब भी सवाल थे तुम्हारे लिए
अब जब अपना जबाब खुद ढूंढ रहे तो
क्या हो गये पराये तुम्हारे लिए
फुरसत कहाँ थी तुम्हें तुम्हारे अपनों से
अपनी बातों से, अपने दोस्तों से,
अपनी आदतों और हरकतों से,
कहाँ शामिल थे हम ,तुम्हारी बातों में,
दोस्तों में ,आदतों और हरकतों में
काश शामिल कर लेती तुम हमें,
अपनी बातों,दोस्तों, आदतों और हरकतों में
तो सवाल यकीनन नहीं पूछने पड़ते
तुम्हें अपने आप से !!!
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