बह्र(बहर-ए-हज़ज):- 1 2 2 2, 1 2 2 2, 1 2 2 2, 1 2 2 2,
मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन
ज़िन्दगी को मिरी कुछ भी दिखावा अब नही करना,
किसी को भी मिरा किस्सा कहानी अब नही करना,
मुझें अपने सफ़र को अब तबाही से बचाना है,
किसी को भी मिरा अपना मुसाफ़िर अब नही करना,
बहुत सहना अभी वो दर्द जो बाकी रहा दिल में,
किसी को भी मिरा सपना अधूरा अब नही करना,
मिलेंगे हर तरह के ऐब वाले लोग दुनिया में,
किसी को भी मिरा दिलकश नज़ारा अब नही करना,
सुकूँ को ढूंढते जो है थका , अब है कहीं खोया,
किसी को भी मिरा फ़ितना दुबारा अब नही करना.!!
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