QUOTES ON #BEHAR

#behar quotes

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13 AUG 2022 AT 16:48

1212 1122 1212 22
हम उनसे मिल सके अच्छे नसीब लगते हैं,
ख़ुदा के बाद वो सबसे क़रीब लगते हैं।

जिन्होंने पीठ में खंजर हमारी घोंपा है,
हमें वो आज भी अपने हबीब लगते हैं।

दिलों से खेलने के फ़न में जो हुए माहिर,
बड़े ही पहुँचे हुए वो अदीब लगते हैं।

अगर न हो कोई अहबाब इस जहाँ में फिर,
रईस लोग भी कितने ग़रीब लगते हैं।

ग़ज़ल में शेर अगर दिल से न कहो "मीना",
भले हों बह्र में कितने अजीब लगते हैं।

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2 JAN 2021 AT 12:57

सीने में इक गम लिए फिरता हूँ,
साँसे हाथों में लिए फिरता हूँ,

होगा ना अब कोई मिरे जैसा,
तेजी तीरों में लिए फिरता हूँ,

आने की अब देरी ना करना,
जल्दी भी ज़द में लिए फिरता हूँ,

हम भी तो यूँ ही इक शायर है,
गज़लों को दिल में लिए फिरता हूँ,

इश्क़ नही ये तो इक नफरत है,
नीयत बदले की लिए फिरता हूँ,

वो मंजर भी क्यों ना रोयेगा,
तलवार जवां जो लिए फिरता हूँ..!!

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28 DEC 2020 AT 15:34

है अपना कोई ना कह पाया किसी को,
है वो हमसफ़र ना कह पाया किसी को,

अब तो आता नही वो इस शहर में क्यों,
है क्या वो आज ना कह पाया किसी को,

आदिल सा इश्क़ वो बनता क्यों नही है,
है क्या वो अख्ज़ ना कह पाया किसी को,

मुश्किल लगता नही अब यूँ गज़ल लिखना,
है वो ही लफ्ज़ ना कह पाया किसी को,

मंजिल की राह पाना आसान है क्या,
है वो भी सफ़र ना कह पाया किसी को..!!

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26 SEP 2020 AT 10:46

बह्र(बहर-ए-हज़ज):- 1 2 2 2, 1 2 2 2, 1 2 2 2, 1 2 2 2,
मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन, मुफ़ाईलुन

ज़िन्दगी को मिरी कुछ भी दिखावा अब नही करना,
किसी को भी मिरा किस्सा कहानी अब नही करना,

मुझें अपने सफ़र को अब तबाही से बचाना है,
किसी को भी मिरा अपना मुसाफ़िर अब नही करना,

बहुत सहना अभी वो दर्द जो बाकी रहा दिल में,
किसी को भी मिरा सपना अधूरा अब नही करना,

मिलेंगे हर तरह के ऐब वाले लोग दुनिया में,
किसी को भी मिरा दिलकश नज़ारा अब नही करना,

सुकूँ को ढूंढते जो है थका , अब है कहीं खोया,
किसी को भी मिरा फ़ितना दुबारा अब नही करना.!!

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16 JUL 2021 AT 23:35

बना रहा था शायर
बंदों को बे-बहर के
मारा गया है शख़्स वो
इस्लाह करते करते

- दीक्षा

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23 SEP 2020 AT 8:31

बह्र (बहर)- 2 2 1 2, 2 2 1 2, 1 2 2 2

डर सा मुझे लगता है अब ज़माने से,
ना हो फजीहत अब मिरी ज़माने से,

छुपकर बचा है दिल, मिरे सवालों पर,
ना हो तबाही अब मिरी जमाने से,

मैं भी निकल जाता अगर असानी से,
ना टूटती उम्मीद मिरी ज़माने से,

होता अग़र मैं खुश इनकी रिवायत से,
ना रुकती साँसे मिरी ज़माने से,

होता अग़र तूफ़ां मिरा "इमरान"
ना सूखती लहरें मिरी ज़माने से..!!

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13 MAY 2020 AT 14:02

वो बोलता रहा इक बात ना नयी निकली,
जो उसने बोला वो सब बात ही कही निकली!

सुनाता सबको अगर मैं कहीं गलत होता,
यकीन मानो न मुझमें कोई कमी निकली!

जो शक था मेरा मेरे वो भी सामने आया,
खुशी हुई कि मेरी उलझने सही निकली!

मुझे तलाश थी जिस चीज़ की जमाने में,
वो चीज मेरे ही आंगन में तब छुपी निकली!

भुलाना चाहा तो वो याद फिर बहुत आयी,
वो बातें मेरे ही जेहन में सब दबी निकली!!

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10 JUL 2018 AT 22:01

मसाफ़त ए मौसिक़ी मेरी कुछ यूँ रही होगी
सब कुछ होगा पास मेरे बस तू ही नही होगी

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7 JUN 2020 AT 17:39

तुम्हारी ज़ुल्फ़ें और मेरी गज़ल सदा बेतरतीब ही रहती हैं
न तुम कभी ज़ुल्फ़ें सँवार सकीं और न मैं गज़ल को बहर मैं बाँध सका

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5 DEC 2018 AT 17:59

बड़े नादान अश्क़ हैं ये, बफ़ा कितनी निभाते हैं।
ज़रासी ज़ीस्त को अपनी, ये आरिज़ पर लुटाते हैं।।

- निधि गुप्ता

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