"म्हारी नर्स गांधारी से कम है के"
घुटने पर चोट लगी थी, सो ड्रेसिंग करवाने ऑफिस के मेडिकल रूम में गया। नर्स कहती, "कैसे करवाओगे, चेंज करने के लिए कुछ है?"। मैंने कहा, "नहीं, कोई मेल कंपाउंडर कर सकता है क्या?"। कहने लगी, "है तो, पर उसे आता नहीं है ड्रेसिंग करना"।
तब तो मैं भी सोच में पड़ गया कि करवाना भी ज़रूरी है और यहाँ कोई उपाय भी नज़र नहीं आ रहा। अचानक से नज़र, मरीज़ बिस्तर पर पड़ी, जहाँ प्लास्टिक में बंद, नयी बेडशीट पड़ी थी। मैंने पूछा, "अगर आपको कोई दिक्कत ना हो तो मैं ये बेडशीट बाँध लूँ क्या?"। नर्स अच्छी थी, परमिसन दे दिया और बाहर निकल गयी।
घुटने के ऊपर तक बेडशीट बाँध के नर्स के सामने जाते हुए मुझे बिल्कुल वैसे ही अजीब लग रहा था जैसा कि महाभारत के युद्ध की सत्रहवीं रात दुर्योधन को लगा होगा, जब वो केवल एक गमछा बाँधे, अपनी माँ, गांधारी के प्रतीक्षा-कक्ष में उनके सामने निर्वस्त्र गया था। तब, गांधारी ने अपनी शक्तियाँ प्रदान कर, उसके बदन को वज्र सा बना कर, युद्ध के प्रहारों से उसे इम्यून किया था... और आज नर्स ने अपनी ड्रेसिंग शक्तियों से ड्रेसिंग कर, पट्टी बाँध कर, मेरी चोट को बैक्टीरिया के प्रहारों से इम्यून किया है।
म्हारी नर्स गांधारी से कम है के!
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