ना किसी की याद है ,
ना किसी की फिक्र है ।
ना किसी का जिक्र है,
फिर यह दिल इतना बेचैन क्यों है।
नींदों से इस का राब्ता उड़ा क्यों है?
Hal-e-dil समझने का वादा करने वाले सो रहे है,
सुबह होते ही पूछेंगे पूरी रात आप क्या कर रहे थे।
बताओ कि तुम्हारा हाल क्या है?
कौन ख्वाबों में बेचैन है ,
कौन बेचैन हो के ख्वाबों में है।
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