तुम राम सिया के नारे लगाते हो
क्या तुम हनुमान के बाल के भी बराबर हो
तुम बलात्कारियों को साथ मिलाते हो,
क्या तुम राम के सच्चे भक्त हो।
तुम अपने वादों से मुकर जाते हो
क्या तुम मर्यादा पुरुषोत्तम राम को बस इतना ही जानते हो।
तुम दोगले नीति अपनाते हो
क्या राम को तुम इतना ही मानते हो।
राजनीति के लिए विद्यार्थियों को लड़वाते हो,
क्या राम नाम का इस्तेमाल सिर्फ वोट के लिए करते हो।
कहा समझ सके हो तुम अगर राम के नाम पर ही लाठियां चलवाते हो और हिंसा किसी और कि बताते हो।
राम परमात्मा है, और तुम सत्ता के भूखे,
क्या फर्क लोगो को आज भी समझ नहीं आ रहा या बस वो भी इनके हाथ की कठपुतली बने है।
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