ठहरे रहो अभी ' जान ' बाकी है,
बिके शहर में ' ईमान ' बाकी है ।
दीवार ढहने में अभी वक़्त बाकी है,
इमारत की अभी मरम्मत बाकी है ।
शिकायतों के आगे एक मदद बाकी है,
अफवाहों से परे एक सच बाकी है ।
नफरतों से छिपता इश्क़ बाकी है,
बेफिक्र लबों पर फिक्र बाकी है ।
खामोशियों के बीच ' उम्मीद ' बाकी है,
परेशानियों से लड़ती ' जीत ' बाकी है ।
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