तुम्हारी यादें,, बा-वफ़ा ब्लैकमेल करतीं हैं
कम्बख़्त,, बेवज़ह जानो दिल टटोलतीं हैं
तुम्हारी हैं.. तुम शौक से रक्खो ख़्याल
अपनी तो,, न इनसे बनती न बिगड़ती है
अलविदा कहे तुन्हें,, अरसा हुआ जाना,,
रेल की पटरी माफ़ीक़ ज़ाने क्यूँ साथ चलती हैं....
मेरी आज़ादी पे आज भी,, "प्रेमांकुश" लगातीं हैं
तुम्हारी यादें सच्ची,, बावफ़ा ब्लैकमेल करती हैं....
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