इक बरसती शाम हो,
दूजा तुम हाथ थाम लो,
तो क्या बात है!
इक बिजलियों की कड़कड़ाहट हो,
दूजा दो प्याली चाय कड़क हो,
तो क्या बात है!
इक ठण्डी हवाओं का सरसराना हो,
दूजा तेरा लिपट कर थरथराना हो,
तो क्या बात है!
इक खिड़की से दिखता हल्का कोहरा हो,
दूजा तुम मेरी आँखों मे देख मुस्कुरा दो,
तो क्या बात है!
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