#kamwalibai...... The scrabbed wound
अपने बारे में , मैं क्या बताऊं जिंदगी भर किए थकावट है मेरी रोजमर्रा की कहानी l
आंख खुलते ही ,मानो धुंधली से सुबह शुरू हो जाती है लेकिन, मैं आखिर होती कौन हूं अपनी जिंदगी पर बस चलाने वाली l
शहर से कोसों दूर गांव में घर है मेरा जहां बसता है मेरा घनघोर सवेरा ,नाम तो वैसे है मेरा रानी, लेकिन मेरी आपबीती सुनोगे तो नाम पर मेरे होगी तुम्हें हैरानी l
किसी को झूठे बर्तन तो किसी के घर की सफाई इसी में तोड़ डाली है मैंने अपनी जिंदगी भर की कमाई l
किसी दिन 10 मिनट लेट क्या हुई तो मैडम बोली--- लो आज फिर लेट आई रानी साहिबा, समय कि इसको आखिर परवाह ही क्या l
मनमन ही मन में मंद मुस्काइ , एक औरत होकर तू औरत का दुख ना जान पाई l
थक गई हूं इतनी ज्यादा अब बस पहुंची सीधे घर ,मिले मेरे दिल को राहत गांव की वह सड़क को देखकर l
बड़ा अंधेरा तो बड़ा मेरे दिल दिल का डर , हर रात की तरह आज भी वो दरिंदा पीकर कर खड़ा होगा मेरी चौखट पर l
जैसे-तैसे हैं करवट मैंने मोड़ डाली, क्योंकि इन नन्ही आंखों में आंखों में बस्ती है मेरी दुनिया सारी l
आएगा एक नया कल, आएगा एक नया सवेरा ,आएगा कल नया सूरज ,मिटेगा घनघोर अंधेरा l
PART 1.... To be continued. ..
-