सुनो!अरे हाँ तुमसे ही कह रही हूँ,
आज तुमसे दिल की इक बात पूछ रही हूँ..
ये जो तुम्हारे हाथ में खिलौना है,
उसने तुम्हे पकड़ा है या तुमने उसे जकड़ा है..
अक्सर देखती हूँ मैं ये खिलौना तुम्हारे हाथों में,
दिन तो दिन अक्सर देखा है मैं ने तुम्हे इसके संग रातों में..
ये जो तुमने इस में अपनी दुनिया बसी रखी है,
क्या पता है तुम्हे ये कच्ची मिट्टी से भी ज्यादा कच्ची है..
ख़ुदा ने बनाये है कुछ खूबसूरत रिश्ते और ये प्यारा जहाँ,
इन सब को छोड़ कर तुम हमेशा गुम रहते हो कहाँ..
गलतफहमी और वक़्त की मार से पहले ही है सब तंग,
छोड़कर इस मायाजाल को बैठो ना अपनों के संग..
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