कभी धूप, कभी धुंध, कभी कोहरा ही कोहरा रोज दिखता है,
मैं सोचती रहती हूं कि मौसम तू इतना क्यों बदलता है?
यह इसलिए है कि बदलते मौसम की तरह आजकल रिश्ते बदलते देखे हैं,
विश्वास करें किस पर यहां भरोसे भी टूटते देखे हैं...
हम हर साल, साल बदलता देखते हैं, मैंने सारा साल लोग बदलते देखे हैं...
अच्छा हुआ लोग बदल गए, हम भी जरा संभल गए।
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