मां बाप को वृंदा आश्रम में भूल गए तुम,
खुशियों की खोज में काफी दूर निकल गए तुम,
कुछ बड़ा करने की उम्मीद में अपनों को भूल गए तुम,
दुनिया मतलबी है ये भूल गए तुम,
जन्नत मां बाप की छाव में है ये भूल गए तुम,
मां बाप को छोड़ गए तुम,
गोद में पालने वाले को भूल गए तुम,
इस मतलबी दुनिया में मां बाप वृंदा आश्रम में भूल गए तुम,
छोटी छोटी बातों को पूरा करने वाले को छोड़ गए तुम,
मां बाप वृंदा आश्रम में भूल गए तुम,
छोटी सी चोट लगने खूब सेवा करने वाले मां बाप के प्यार को भूल गए तुम,
कभी ना भरने वाले जकम उनको दे गए तुम,
हमारी हर मांग पूरे करने के लिए खून को पसीने की तरह बहाने वाले को मां बाप को भूल गए तुम,
अपने बुढ़े मां बाप को खूब रुला गए तुम,
स्कूल में दी गई सारी शिक्षा भूल गए तुम,
अपने बुढ़े मां बाप वृंदा आश्रम में भूल गए तुम,
कभी न आंखो में आशु देखने वाले मां बाप भूल गए तुम,
उन्हें जिंदगी भर के आशु दे गए तुम,
खुशियों की खोज में जन्नत कहा आ गए तुम,
जन्नत जैसे मां बाप को क्यों वृंदा आश्रम में भूल गए तुम,
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