QUOTES ON #ATULKIKALAM

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22 SEP 2017 AT 1:13


पल भर में हमसे हमारा बचपन छुड़ा देती है।
ये समय की हवा है यारों सब कुछ उड़ा देती है।।

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20 SEP 2017 AT 9:28

आज फिर सुबह की किरण आयी है....

रोज की तरह आज फिर सुबह की किरण आयी है,
पर आज लगता है जैसे कोई सपना साथ लायी है।
आज की सुबह में कुछ अलग सी बात है,
जैसे तन्हा होकर भी कोई मेरे साथ है।
यूँ लगता है जैसे कुछ कहना चाहती है ये सुबह,
पर ना जाने कौन सी बात है।।

ये जो हल्का सा शोर है इस सुबह की बातों में,
लगता है जैसे कोई कुछ कह रहा अपनी बातों में।
आसमान में जो पक्षियों की उड़ान है
उन्हें देखकर उड़ जाने को दिल करता है,
कुछ अलग सा कर जाने को दिल करता है।।

ये लो लिखते-लिखते कहीं खो सा गया हूँ मैं,
जैसे किसी के आने की दस्तक आयी है।
आज फिर सुबह की किरण आयी है,
जैसे कोई सपना साथ लायी है।।

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21 SEP 2017 AT 0:31

रात की खामोशियों को लिखना कभी,

अल्फाज़ कम पड़ जायेंगे लिखने के लिये।

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13 DEC 2017 AT 22:01

आज लिखने बैठा तो याद आया
ज़िन्दगी से क्या क्या पाया है मैंने?
या मन को यूँ ही मनाया है मैंने।
ऊपर तो खुला आसमां है,
फिर भी खाली क्यों दिल का जहां है।
जो चाहा वही तो दिल कर रहा है,
फिर भी दिल को सुकून कहाँ है।
वक़्त भी थमा सा है एक मुद्दत से,
जैसे किसी ने बेड़ियों में जकड़ा हो,
एक वक़्त को गुजरे भी कितना वक़्त हो चला,
जैसे दिल ने अभी भी एक लम्हा पकड़ा हो।
अंधेरे में रौशनी की उम्मीद लिये,
ज़िन्दगी भी एक रास्ता बनाये हुये है।
कुछ लम्हे अभी भी थमे हुये से है,
कुछ अभी भी दिल में घर बनाये हुये है।
पास से गुजरा एक हवा का झोका
एक डायरी के पन्ने को उड़ा ले गया।
कह गया एक अलग सी कहानी,
कुछ जिंदगी की सीख दे गया।
शायद जिंदगी का एक पन्ना और पलट गया है,
और वक़्त भी वक़्त के साथ बदल गया है।
ये वक़्त को भी कौन सा खुमार चढ़ा है,
पता नही वक़्त कौन से मोड़ पर खड़ा है।।

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3 OCT 2017 AT 23:37

रुक से गये हैं कदम रास्तों पर ऐसे,
एक सफर सा ख़तम हुआ हो जैसे।
मंजिल ना मिली वो अलग बात है,
एक तजुर्बा तो नया मिला हो जैसे।।

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26 SEP 2017 AT 9:52

पापा मुझे आपके सपने पूरे करने हैं....

देखा है जो किसी नें, मैं उस अपने की बात कर रहा हूँ,
मैं किसी और की नहीं, पापा के सपने की बात कर रहा हूँ।
उन सपनों को जो पापा की आँखों नें भी देखा होगा,
पर हमारे सपनों की खातिर किया अनदेखा होगा।
उन सपनों को आज मुझेे पूरे करने हैं,
पापा मुझे आपके सपने पूरे करने हैं।।

हमारी हर ख़ुशी के खातिर आपने कितने दुख सहे होंगे,
कुछ ख्वाब आपके दिल में भी तो रहे होंगे।
अपनी बिना परवाह किये आपने इन सपनों को मारा होगा,
ऐसा करने से दिल दुखा भी तुम्हारा होगा।
इन ख्वाबों के बीच जो आपके अधूरे सपनें हैं,
पापा मुझे आपके सपने पूरे करने हैं।।

ज़िंदगी के रास्तों में आपके साथ मुश्किल भी आई होगी,
इन मुश्किलों में ख़ुशी आपने कहाँ पायी होगी।
इन मुश्किलों से खुशियों का जहां मैं आपको दिखाऊंगा,
जो भी सपने हैं आपके वो पुरे कर जाऊंगा।
बस अब ख़ुशी के पन्ने फिर से पलटने हैं,
पापा मुझे आपके सपने पूरे करने हैं।।

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22 SEP 2017 AT 17:40

कभी-कभी तन्हाई में मैं अक्सर ये सोचता हूँ....

कभी-कभी तन्हाई में मैं अक्सर ये सोचता हूँ....
सोचता हूँ उन लम्हों को,जो लम्हें बनकर गुज़र गये।
गुज़र गये कुछ ख्वाब बनकर ,कुछ याद बनकर रह गये।
इन गुजरे लम्हों को जब, आज की खिड़की से देखता हूँ,
देखता हूँ उन पन्नों को, जो पन्ने कबके पलट गये।
इन पन्नों को पलटने से फिर से दिल को रोकता हूँ,
कभी-कभी तन्हाई में मैं अक्सर ये सोचता हूँ।।

सोचता हूँ उन ख्वाहिशों को,जो ख्वाहिश बनकर ही रह गयीं,
रह गयीं सीने में दफ़न, एक आस बनकर रह गयीं।
इस आस को मैं आँख में आंसू की तरह सोखता हूँ,
कभी-कभी तन्हाई में मैं अक्सर ये सोचता हूँ।।

सोचता हूँ किसी की उम्मीदों को , जो उम्मीद बनकर ही रह गयीं,
रह गयीं एक ख्वाब बनकर, एक प्यास बनकर रह गयीं।
कुछ सवालों के जवाब मैं खुद से ही पूँछता हूँ,
कभी-कभी तन्हाई में मैं अक्सर ये सोचता हूँ।।

आज भी जब देखता हूं, ख्वाब रातों में कभी,
देखता हूँ ख्वाब में, एक ख्वाब पूरा हो कभी।
इस ख्वाब को मैं अक्सर ख्वाब में ही देखता हूँ,
कभी-कभी तन्हाई में मैं अक्सर ये सोचता हूँ।।

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21 SEP 2017 AT 21:47

जिंदगी के सफर में तुझे अकेले ही जाना है....

मंजिल, ये शब्द अपने आप में ही कितना कुछ कह जाता है,
पर सफर में चलनें का हौंसला भी दे जाता है।
इसी हौंसले के साथ तुझे यूँ ही चलते जाना है,
क्योंकि जिंदगी के सफर में तुझे अकेले ही जाना है।।

रास्ते पर तुझे बहुत सारी मुश्किलें भी आयेंगी,
पर सच्चे राही का रास्ता ना रोक पायेंगी।
इन मुश्किलों से तू अपनी मंजिल की चाहत को मत मारना,
राह कैसी भी हो तू हिम्मत मत हारना।
अब इन मुश्किलों से तुझे नहीं घबराना है,
क्योंकि जिंदगी के सफर में तुझे अकेले ही जाना है।।

कुछ लोग हँसेंगे तुझ पर तेरा मज़ाक भी उड़ाएंगे,
पर सच्चे राही का रास्ता ना रोक पायेंगे।
अकेले ही चलना है तुझे , सफर में कोई न तेरे साथ होगा,
पर मंजिल मिलते ही सारा जहां तेरे साथ होगा।
मंजिल पाने के लिये रास्ता तुझे खुद ही बनाना है,
क्योंकि जिंदगी के सफर में तुझे अकेले ही जाना है।।

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20 SEP 2017 AT 0:02

या तो मंजिल दिखा दे या रास्ता ख़तम कर दे....

कुछ अनकही सी बात है जो जुबाँ पे ठहरी हुयी है,
कुछ अनकहे से सवाल हैं जो दिल में छुपे हुये हैं।
थक सा गया हूँ चलते - चलते ये ज़िन्दगी,
या तो मंजिल दिखा दे या रास्ता ख़तम कर दे।।

अब वीरान सा ये जहां लगता है,
खामोश सा यूँ समां लगता है।
शोर में भी खामोशियाँ छुपी हैं कहीं,
ऐसे में मन भी कहाँ लगता है।
एक छोटा सा मुझपे सितम कर दे,
या तो मंजिल दिखा दे या रास्ता ख़तम कर दे।।

निकला था जब सफर पे तब वादा किया था खुद से,
ये मंजिल की चाहत कभी ना दूर होगी मुझसे।
दिल में कुछ करने का जुनून आया था,
ये दिल ने भी वादा किया था मुझसे।
बस तू अब इतना सा फैंसला कर दे,
या तो मंजिल दिखा दे या रास्ता ख़तम कर दे।।

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25 FEB 2018 AT 23:30

क्या लिखूं?

पहले सोचा कि क्या लिखूं?
बीते दिन लिखूं या आधी रात लिखूं,
या दिल की अनकही बात लिखूं।
वो बिगड़े हुये हालात लिखूं,
या किसी का अधूरा साथ लिखूं।
वो आधी रात के ख़्यालात लिखूं,
या अनसुलझे से सवालात लिखूं।
वो अनलिखे से अल्फाज़ लिखूं,
या कलम की रोती आवाज लिखूं।
कल की बीती बात लिखूं,
या ख़ुशी से बीता आज लिखूं।
किसी को चाँद के पार लिखूं,
या उसको ही एक चाँद लिखूं।
वो जागी हुयी रात लिखूं
या अधूरी रात की बात लिखूं।।
समझ नही आ रहा क्या लिखूं...

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