चंद अल्फ़ाज समेट के उन्हें कुछ बोल आई हूँ,
वो जो कुछ हमेशा दिल में बंद रखते है...
मैं उन्हें भी बिन इजाज़त खोल आई हूँ;
वो जो मेरी आँखों में आँसू देख खुद भी रो देते है...
मैं उनसे "बेटियों पर सिर्फ और सिर्फ बाबा का हक होता है"
ये उन्हें सरेआम उनके सीने पे सर रख के बोल आई हूँ।
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