एक कदम
निश्छल अनुराग का प्रतीक,
ये, तेरी नयनों का नीर।
कुछ अभी, कुछ लिहाफ़ के संग,
ये, तेरा प्यार है, "असीम"
मयकदे के मोड़ ही से लौट गये,
ये, तेरी नयनों का, शराब देख।
कुछ हया, कुछ तबस्सुम की लपक,
ये, तेरा हुस्न है, "अज़ीज़"
क़दरे वफ़ा की तूने "रवि",
जफ़ा करने वालों के संग।
कुछ उम्मीद, कुछ लम्हों के साथ,
ये, तेरी याद है "अमिट"
रहा आज गर्दिश भी चुप,
तेरी नयनों से नीर, बहता देख।
कुछ खामोशी, कुछ घुटन के साथ,
ये, तेरे बाद की है "कशिश"।
हर शिकस्त पे, खामोश हूँ,
एक बुझता हुआ, चराग की तरह।
कुछ बोझिलता, कुछ तन्हाई के साथ,
ये, मेरे कदम है, "अडिग"
-