आशाओं के इक मरघट पर,
भावों की भीनी चौखट पर,
विश्वासों के विस्तृत वट पर,
इस जीवन सागर के तट पर,
हम फिर तुम संग हसाँ करेंगे
हम फिर तुम संग रहा करेंगे।
जीवन की मझधार बड़ी थी,
तुमको खोना हार बड़ी थी,
लेकिन हमको ढोना ही था,
दुख की गठरी द्वार पड़ी थी,
उसे उठाये तुम्हें सुमिर कर,
हमने खुद को ढूंढा दर दर,
लेकिन मर्यादा में रहकर,
श्वास श्वास ले हर इक घट पर,
हम फिर तुम संग हँसा करेंगे,
हम फिर तुम संग रहा करेंगे।
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