इक रुख सा बदलने लगा है जमाने का,
जब से जेहन में तुम्हारे खयाल आया है
हमें आजमाने का,
यूं तो सर आज भी झुकते हैं इज्जत में हमारी,
ना जाने क्यों हमें उठता देख,
तूने खुद को परेशान पाया है,
शिद्दत ए इश्क है हमें इस वर्दी से,
ना जाने क्या सोच तूने खुद को
हमारी बराबरी में पाया है,
मोहब्बत ए फ़रमान में इश्क का ऐलान है,
नहीं इश्क़ हुआ तुझे एक सैनिक से,
तो तेरी जिंदगी ज़ाया है,
हमें आजमाने का,
जब से तुम्हारे जेहन में खयाल आया है।।
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