वो ज़िन्दगी सी, गुज़र्ति गयी,
मैं साँस सा, थमता रहा |
वो लम्हों सी, निकल गयी,
मैं उम्र सा, खिंचता रहा |
वो इब्बादत सी, बढ़ती चली गई,
मैं गुज़ारिश सा, सिर्फ़ झुकता रहा |
वो आर्जू सी कहीं, दफ़न होती रही,
और मैं एक सवाल सा बनता गया |
वो इफ़तीखार सी, रोशन होती रही,
मैं गर्दिश का तारा, टूटता रहा |
वो हौसलों सी, बुलन्द होती गयी,
मैं नज़र सा, लगता गया,
मैं नज़र सा, लगता गया,
मैं नज़र सा, लगता गया...
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