QUOTES ON #ANOOPKEALFAZ

#anoopkealfaz quotes

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4 MAR 2018 AT 2:56

तुम्हारी याद का बादल आवारा बहुत है,
दर्द देता है, मगर दर्द ये प्यारा बहुत है।

मेरे लफ़्ज़ों की चीखें तुम सुन न पाये वर्ना,
मेरी हर ग़ज़ल ने तुमको पुकारा बहुत है।

कलम थामें रखना मेरे लिये ऐसा है जैसे,
डूबने वाले को तिनके का सहारा बहुत है।

पिंजरे में कैद पंछी की बेबसी समझता हूँ मैं,
वक़्त मैंने भी तन्हा रहकर गुज़ारा बहुत है।

ये अफवाह है के तमन्ना पूरी होने के लिए,
फलक से टूटता हुआ कोई सितारा बहुत है।

रेत पर चलना नसीब न होगा हमको अनूप,
हौंसला भी जख्मी और दूर किनारा बहुत है।

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1 FEB 2018 AT 23:43

*उसके कोरे खत को प्यार का पैगाम कैसे कहूँ,
मदहोश हूँ मगर खाली पैमाने को जाम कैसे कहूँ।

बेशुमार रुसवाईयाँ मिली हैं तोहफे में मुझको,
आखिर इश्क़ में खुद को मैं नाकाम कैसे कहूँ।

डूबते सूरज को फसाने अपने सुनाया करता हूँ,
गुज़ारी बिन तेरे जो उस शाम कोे शाम कैसे कहूँ।

मेरी ज़िंदगी का एक ज़रूरी हिस्सा रहा है वो,
एक रात में ये खूबसूरत किस्सा तमाम कैसे कहूँ।

अभी तो है ये इब्तिदा मेरे सफर की अनूप,
तुम ही बताओ मैं आगाज़ को अंजाम कैसे कहूँ।

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4 MAR 2019 AT 23:56

खुद में तुझको को मैं इस तरह ढूंढ लेता हूँ,
अपनी हथेलियों से दोनो आंखे मूँद लेता हूँ।

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23 DEC 2018 AT 23:10

शहर की इस भीड़ के आगे सहरा क्या है?
दिल पर भी नकाब हैं तो फिर चेहरा क्या है?

इकठ्ठे कर रहे हो जो तुम सोने के सिक्कों को,
मरने के बाद मगर इस ज़मीं पर ठहरा क्या है?

सांसो का हिसाब भी देते हो सोशल साइट पर,
आज़ादी है ये अगर तो फिर पहरा क्या है?

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5 MAR 2019 AT 23:20

तुम रात हो पूनम की, जून का गर्म दिन रहा हूँ मैं,
सिर्फ दिल जानता है मेरा, कैसे तेरे बिन रहा हूँ मैं,
अपने विरह के लम्हों का हिसाब तो है नही लेकिन,
मिलन की चंद घड़ियाँ उंगलियों पर गिन रहा हूँ मैं।

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22 FEB 2019 AT 23:51

बड़ी खामोशी से वक़्त हमको छल गया है,
ख्वाब जो भी था आँखों में, जल गया है।
एक पुरानी तस्वीर देख के गुमाँ हुआ अनूप,
इतने सालों में कितना कुछ बदल गया है।

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16 APR 2019 AT 14:08

Chain bhi le gaye mera sukun bhi le gaye
Apni yaado ko kyu choda vo bhi le jate

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15 MAR 2019 AT 19:02

कैसे कहूँ मैं तुमसे अपने इश्क़ की दास्ताँ?
हद में रहकर तुमसे बेहद मोहब्त की है मैंने।

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23 DEC 2018 AT 22:35

रंगों में छिपी हुई कोई कहानी मिल जाती है,
अलमारी में जब तस्वीर पुरानी मिल जाती है।

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18 MAR 2018 AT 9:25

इश्क़ के बारे में कहतीं सरगोशियाँ कुछ भी नहीं,
दूरियों को न समझो तो नज़दीकियाँ कुछ भी नही,
मेरी ग़ज़लों को लबों से अपने चूमता है वो अब,
जिसके लिए थीं कभी, मेरी खामोशियाँ कुछ भी नही।

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