तुम्हारी याद का बादल आवारा बहुत है,
दर्द देता है, मगर दर्द ये प्यारा बहुत है।
मेरे लफ़्ज़ों की चीखें तुम सुन न पाये वर्ना,
मेरी हर ग़ज़ल ने तुमको पुकारा बहुत है।
कलम थामें रखना मेरे लिये ऐसा है जैसे,
डूबने वाले को तिनके का सहारा बहुत है।
पिंजरे में कैद पंछी की बेबसी समझता हूँ मैं,
वक़्त मैंने भी तन्हा रहकर गुज़ारा बहुत है।
ये अफवाह है के तमन्ना पूरी होने के लिए,
फलक से टूटता हुआ कोई सितारा बहुत है।
रेत पर चलना नसीब न होगा हमको अनूप,
हौंसला भी जख्मी और दूर किनारा बहुत है।
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