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आहिस्ता से ढलना इश्क में जनाब,,
खुराक-ए-इश्क को भी महफ़ूज़ रखना ।।
सबब-ए-नशे में डूबना जरूर
पर नियत और महबूब की गुरूर रखना ।।
मेहरूम तो नहीं आप इश्क-ए-त्यौहार से
इजहार-ए-इश्क में गुलाब रखना ।।
गुलजार-ए-चमन तो आबाद है आपके
पर जनाब,,वो एक हसीन बला है,,
हो सके तो अपनी नशीली निगाहों को,,
उनके दीदार-ए-नूर से थोड़ा दूर ही रखना ।।
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