वो ज़िद्दी,अड़ियल,चंचल सा मन चाहिए,
मुझे फिर एक बार बचपन चाहिए।
वो गिरता,सम्भलता,फिर चलता
धूमिल सा तन चाहिए,
पल में रोता,पल में हँसता
नादान जीवन चाहिए,
मुझे फिर एक बार बचपन चाहिए।
वो आँगन,खिलौने,माँ के
आँचल की सुखन चाहिए,
मिरा आसमान,मिरे परिन्दे
मिरे झील का दर्पण चाहिए,
मुझे फिर एक बार बचपन चाहिए।
#बनारसवाली
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