काश, थोड़ा समय और देते स्कूल में,
संविधान को समझ जाने में!
समझ आता कि है ये बस, 'निरपेक्ष' ताने-बाने में।
समझ आता कि जनता सरकार की तिजौरी नहीं है!
'सरकार और जनता' एक दूसरे के पूरक रहें हैं।
समझ आता कि संविधान ने विरोध पर,
अपनी बात रखने पर अंकुश क्यों नहीं लगाया।
समझ आता कि DU, AMU, JNU, IIT जैसी संस्था क्यों आम बच्चों(हर क्लास) को भी रास्ता देती है!
क्यों RTI पर थी नहीं कोई पाबंद और ज़बरदस्ती!
क्या हुआ था, जब इंद्रा ने निरंकुश होने की चाहत थी रखी?
आज सरकारी संस्थाओं की निलामी हो रही है!
घुस कर कैंपस, होस्टल में छात्रों को पिटवाया जाता है,
फिर, बेशर्मी से सबको देश-द्रोही बतलाया जाता है।
काश, संविधान पढ़ा जाता, लगता है आज संविधान की भी निलामी हो रही है!!
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