पहले प्रेम की स्मृतियाँ भी पुरानी चोट की तरह ही होती हैं। जैसे पुरानी चोट का दर्द बदलता मौसम देखते ही बाहर आ जाता है और मजबूर करता है कराहने के लिए
ठीक वैसे ही आस पास होने वाली कुछ घटनाएँ यादों की बोरी को उल्टा कर के उसके अंदर से कुछ पल निकालती हैं और मजबूर करती हैं या तो होंठों को बेवज़ह मुस्कुराने के लिए या फ़िर आँखों से कुछ बूंदों का वज़न कम करने के लिए।