उन रिश्तों के बगैर,
जिनमें मिठास नहीं, विश्वास नहीं,
और प्रेम की भी कोई आस नहीं,
ऐसे रिश्तों में उलझने से बेहतर है,
विरह में रहें किन्तु सुलझे रहें,
मैने जीना सीख लिया है,
उन लोगों के बगैर,
जिनके हृदय में सम्मान नहीं,
मान नहीं, हमारे होने का अभिमान नहीं !
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