"किसान"
वजूद बिखरा पड़ा है सड़कों पर,उसे उठाने वाला कोई नहीं मिला
खिलौना बनकर उतरे हैं वो सड़कों पर, खरीदार कोई नहीं मिला
अमीरी मज़े ले रही है ठंड का, यूं बन्द गाड़ियों में बैठकर,
वो रात बिता रहे हैं सड़कों पर,उन्हें कम्बल देने वाला कोई नहीं मिला।
-rajdhar dubey
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