निष्कपट-निश्छल, सुदामा सा लाचार हूँ...
मित्र जो दुर्योधन तो, कर्ण का व्यवहार हूँ...
अठारहों पुराण में मैं, व्यास का उपकार हूँ..
जब राम थे व्यथित तो, सुग्रीव का आभार हूँ..
तांडव हूँ शंकर का, डमरू का डंकार हूँ...
तरकश हूँ अर्जुन का, समर का हुंकार हूँ...
खिंचे न चीर कोई, कृष्ण का पुकार हूँ...
वेद भूषित कर्म है, मार्तण्ड का अवतार हूँ...
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