खुदसे खुदकी दोस्ती भी बड़ी निराली होती हैं ,
कभी दो पल खुद के साथ तो बिताना,
फिर खुदसे से थोड़ा रूठना और खुदको थोड़ा मनाना,
कुछ सवाल हो जहन में तो,
पहले पूछना फिर ज़रा इत्मीनान से उसका जवाब ढूंढना,
ज़रा अकेले दो कदम चलना तुम,
और फिर पीछे मुड़कर अपनी परछाई को देखना,
वो तुमसे कहेगी की मैं तुम्हारे साथ ही हुं ,
कभी खुद का हाथ थामना,कभी खुदको गले लगाना,
कभी खुदके आंसू पोछना,कभी खुदको ज़रा गुदगुदाना,
मेरे दोस्त अकेले तुम नहीं, अकेले हम नहीं,अकेले हम सभी काफ़ी है ।
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