..उन्हें फर्क नहीं पड़ता..
मन होता है बात करने का, लेकिन नहीं करता क्योंकि बात हो या न हो, उन्हें फर्क नहीं पड़ता
वो भूल गयी होंगी या भूल जायेंगी , क्योंकि अब काॅल और मैसेज भी तो मैं ही करता ,उन्हें फर्क नहीं पड़ता
हमारी सारी बातें उन्हें अच्छी लगती थी,
हमारा गुस्सा, हमारे बेतुके सुर वाले उस गाने की कड़ी भी पूरा कर जाती थी ,लेकिन अब नहीं क्योंकि उन्हें तो कोई फर्क ही नहीं पड़ता
दिल आज भी उन्हें याद करता है ,समझाने की कोशिश भी करता है।
समझाने का अनुभव जो नहीं है,लेकिन वो समझना भी तो नहीँ चाहते ,क्योंकि अब शायद उन्हें फर्क नहीं पड़ता
ज़रूर होगी कोई मजबूरी ,उनकी एही सोच दिल आज भी उन्हें याद करता है ,पर शायद उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता
.. मेरी कलम✒ से..
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