मैं अपने अरमान को समेटे एक फरमान लिखता हुं कागज कलम के सहारे दिलो जान लिखता हुं जा अब ना आऊंगा सामने तेरे ऐसा वादा है मेरा खुद हताश और तेरे लिए हंसी शाम लिखता हु।
मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन"गुस्सा"है, अगर कोई व्यक्ति गुस्सा में रहने पर वह खुद को क्षति पहुंचाता है। और एक बात की खूबी भी है गुस्सा में की मनुष्य झूठ कभी नहीं बोलते हैं।
चाहा तो हर पल तुम्हें मगर प्यार होने ना दिया राह तो पकडी थी मगर रार होने ना दिया मुझे हर वक्त संदेह होता है मेरी इश्क बाजी पर मिठाई तो बनाई थी मगर मिठा होने ना दिया
उसी का अंश हुं मैं उसी के साथ चलने की आरजू है मेरी उसी के बूढे आंचल में जिंदगी के धुप काट लेने की चाहत है मेरी बस जब कभी उसके याद में डुबकर फफक पडता हुं मैं एकाएक उसी की धीमी आवाज कहती हैं मत रूक तूझी में बस परछाई है मेरी