हे पात्र,सुन तु है महान,
विघ्न के आगे न कर खुद को कुरबान।
डर के आगे जो तु झूक रहा
खुद ही से हार के जो तु रूठ रहा,
जरा सोच कल के उस परिणाम का
रह जाएगा तु हारे हुए अभिमान का,
सुन,तु है किसी न किसी की शान,
हे पात्र,विघ्न के आगे न कर खुद को कुरबान।
चुनौतियाँ है बहुत इन्हें तु स्वीकार कर
योध्दा है तुझमें इनका तु संहार कर,
त्याग इस जीवन का नहीं है कोई उपाय
लड़ना सीख वीरता तुझमें भी है समाए,
सुन,खुद को कमजोर कभी न मान,
हे पात्र,विघ्न के आगे न कर खुद को कुरबान।
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