जाने कितने घरों के चिराग बुझे
इस नशे की लत की आंधी में।
क्यों लोगों को होता है ये ज़हर प्यारा
जो दूर कर देता है ज़िन्दगी से।
छीन लेता है अपनों की मुस्कान,
और जीते जी कई लोगों के लिए
घर को बना देता है श्मशान।
कब लगाएंगे हम अपनी बुद्धि,
और दूर होकर नशे से करेंगे
अपनी और समाज दोनों की शुद्धि।
दूर कीजिये खुद को नशे की लत से,
दीजिये परिवार को मोहब्बत और वक्त,
मत छीनिये उनसे आपके साथ का हक़।
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