तुझ बिन ना तराना अच्छा लगता , ना कोई मौसम ।
तुझ बिन सावन भी लगता सलब है ।।
मन थोड़ा व्याकुल रहता , मिलने को आतुर रहता ।
तेरे इश्क़ की लगी कैसी ये तलब है ।।
तेरा रूप , तेरी आंखें , बात करने का वो सलीका ।
उन सब में प्यारा सा एक अदब है ।।
तुम जो मिले हो , मुझको जन्नत है मिल गया ।
तेरा प्यार, तेरा साथ, खुदा से मिला एक वहब है ।।
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