मेरी बेताबी
दिल इतना बेक़रार, इतना बेताब क्यों हैं
जो नहीं हो सकते पूरे,
आंखो मे सिर्फ़ वो ख़्वाब क्यों है
जिसे पाने की सारी कोशिशें बेकार हैं
उसी को पाने की दिल में चाह क्यों है
चेहरे पर मुस्कान झलक रही,
पर ये मन उदास क्यों है
मोहब्बत होने में लगते कुछ लम्हें,
पर भुलाने में लगती पूरी उम्र क्यों है
हमें बताता नहीं कोई यह राज,
दिल हमारा है तो किसी और के बस में क्यों है।।
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