उदास क्यूँ रहना है?
बातें ये तेरी, बातें ये मेरी
शिकवा किसी से क्या करना है?
जुदा-जुदा ही जीना हमको
जुदा- जुदा ही मरना है.
तू भी बोली, मैंने भी बोला
दिल का राज दोनों ने खोला
बातें हुई खत्म यहीं पर
फिर आहें क्यूँ भरना है?
जाने दो जो भी हो गया
हम अलग-अलग ही जी लेंगे
मिल न पाए बड़ी बात नहीं
आँसू ही थोड़ा पी लेंगे.
जिंदगी है बड़ी छोटी यारा!
घुट-घुट क्यूँ मरना है?
मिल ना पाए इस जीवन में
था वक्त को मंजूर नहीं
मजबूर थे हम दोनों ही
हमारा कोई कसूर नहीं
कई लूटे हैं, हम नए नहीं हैं
फिर उदास क्यूँ रहना है?
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