लत लगी है तुम्हारी
कुछ छाई सी है खुमारी।
भोले की आढ़ में जाने क्या क्या
इस अनजान हलक में उतारी।
कर्म करने चले थे
कांड कर बैठे हो।
नशा कहते हैं जिसे लोग
उसे भोले का प्रसाद बोल ऐंठे हो।
जान लो, बात मान लो
समय है कुछ ठान लो।
भोले बाबा का प्रकोप होगा
तब प्रसाद भी काम न आएगा।
आहिस्ते आहिस्ते दुनिया उजड़ जाएगी
बंधु, साथ कहाँ से लाएगा।
छोड़ पत्ते की बात,
तुझे पते की बात बताता हूँ।
इंसान होने का हक़ है तुझपे मेरा,
इसलिए तुझपे रौब जमा पाता हूँ।
- सौRभ
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