अभी तो दिसंबर की शाम बाकी है ..
सर्द मौसम में ,गरीबी का इम्तिहान बाकी है..
अनजान शहर में खुली छत का इंतजाम बाकी है ..
अभी तो उस मुफलिस की पूरी दास्तान बाकी है..
काली रातों में मरते ख्वाहिशों का जाम बाकी है..
ठिठूरते ही सही ,मगर उजालों का अरमान बाकी है..
अभी तो बेबसी और लाचारी का कत्लेआम बाकी है.. . देखते रहिए साहब अभी तो सियासत का इल्जाम बाकी है
बुझती रोशनी में जलती अलाव का काम बाकी है ..
यह तो बस शुरुआत है ,अभी तो पूरा इम्तिहान बाकी है..
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