सुनिएगा गा.... के, मोहब्बत ख़तम नहीं होती दफनाई जाती है, किस्से इतिहास नहीं होते मिटाए जाते है, कुछ रिश्ते ही बेवजह होते है, खुद तो पूरे होते नहीं, दूसरो की नींद उड़ाए जाते है।
वो चार दीवारी मैं बंद साथ-साथ सोया करते एक को ठोकर लगती साथ सब गिरा करते ना जाने कब से ये दीवारे पैसो से बनने लगी वो रहे दीवार के उस पार ओर हम यहाँ अब रोया करते