अभी सिमटी हुई हैं ये खुशियां कहीं
ज़िन्दगी से अभी मुलाकात बाकी है,
मैं ठहरा सा सावन बना आसमां में हूं
अभी चाहतों की प्यारी सी बरसात बाकी है,
दरिया जो अभी सूखी सी है कहीं
उसमें नमी की प्यास बाकी है,
डोर जो प्रीत की बांधी है तुमने
अभी उसमें प्यार का अहसास बाकी है,
लम्हों के हर धून जो गाए हैं तुमने
उसमें सरगम की मिठास बाकी है,
जो आयतें हमारे अफसानों की है
उनमें हमारे चाहतों के अल्फ़ाज़ बाकी हैं,
हां थमना चाहता हूं पूरी तरह से तुझमें
सिर्फ कुछ दूरियों की मुलाकात बाकी है,
मैं ठहरा सा सावन बना आसमां में हूं
अभी चाहतों की प्यारी सी बरसात बाकी है।।
@Ritik Gupta
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