आवाज़ों के जंगल में खोयी इक आवाज़ ढूंढ़ता हूं
बीत रहे हर पल में इक नया आगाज़ ढूंढ़ता हूं
खो सा गया है कहीं मुझसे ही मेरा इक अक्स
आइने में देख, वही पुराना अंदाज़ ढूंढ़ता हूं
सुना था वक़्त रहता नहीं कभी एक सा हमेशा
बुरे वक़्त के बाद अच्छे वक़्त का रिवाज़ ढूंढ़ता हूं
ज़िन्दगी यूं तो बसर हो ही जाएगी खामोशी से मगर
कह सकूं जिससे दिल की हर बात, वो हमराज़ ढूंढ़ता हूं
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