चिड़ियों-सा ढूँढते रहे हम तिनका यहाँ वहाँ,
बनाना चाहते थे उसके दिल के कोने में छोटा-सा आशियाँ,,
उसे उड़ रहे सूखे पत्तों का मुसाफ़िर न कहो,
वो आँधियों में उड़कर न जाने कहाँ चला गया,,
दिल पे इश्क़ के कितने निशान बना गया,
दिल तोड़ के जो गया उसे क्या खबर मेरा क्या हुआ,,
बरस चुका सावन, बदल गया है अब मौसम,
मगर बरसात का एक बूँद भी हासिल न हुआ,,
बेवफ़ा है दुनियाँ में सजता हुआ हर इश्क़ का आईना,
मुश्किल घड़ी में वो भी मुझे छोड़कर कह गये थे अलविदा,,
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