QUOTES ON #AASH

#aash quotes

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6 FEB 2020 AT 20:17

दिल की जो भी आस थी
वो अब पुरी हो गई....💕
तुम मिल गए तो जाने
क्यों ये दुरी हो गई....!

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5 FEB 2021 AT 12:08

Hame kisi apne ki talaash thi
Gairo se hi sahi thori aash thi

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8 FEB 2019 AT 7:13

'Kash' aur 'aash' mei fashi h mohabbat ki zindagi,
"Kash" hum uske dil mei hote
"Aash" h ki hum uske dil mei hai.....!

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1 MAY 2021 AT 18:05

"आदर सत्कार (20)"
भूल गए सब मशरिक़ी लिहाज,
मग़रिबी तहज़ीब लिया है संभाल,

हेलो, हाय, के चक्कर में करना
भूल गए सलाम, दुआ, नमस्कार,

बुज़ुर्गों के दम से रौनकें होती थी जहाँ,
देखके अब उन्हें बदल रहा क्यों व्यवहार,

ऐसे क्यों कमज़र्फ हो गए हम,कि ज़िन्दगी
देने वालों का भी करते नहीं आदर सत्कार,

दरवाज़े के दस्तक पे डर रहा आज इंसां,
"अतिथि देवो भव" हैं जिनके संस्कार!


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27 APR 2021 AT 14:32

"आपसी मन-मुटाव (16)
पड़ जाए जब रिश्तों में, ग़लमफ़हमी की दरार,
हायल से होने लगते, फिर आपसी मन-मुटाव,

रंज़िशें जब दिल में हो, आता रिश्तों में बिखराव,
पहले नज़र फेरते हैं, फिर होती ज़बानी टकराव,

ख़ुदग़र्जी के अंधेरे करने लगे, गर दिलों में घेराव,
मिटा दो बेग़र्ज मोहब्बते-शमा का करके चुनाव,

सिर्फ अपनी बात न रखना दूसरों की सुनना भी,
क्योंकि कभी-कभी छोटी बातें, भी देते बड़े घाव,

हयात-ए-दरिया में आते हैं, रोज़ ही नये तूफ़ान,
बचोगे तभी मोहब्बतों की चप्पू से चलेगी ये नाव!




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27 DEC 2020 AT 20:38

दिल चाहता है तेरी पलकों से सारे अश्क़ चुरा लूँ,
तेरे लबों की खोई हुई वो बेसाख्ता हँसी लौटा दूँ.....

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4 MAY 2021 AT 7:43

दूर हो कर भी कुर्बत का एहसास दिलाती है,
ये तेरी आँखें हमें रोज़ नये ख़्वाब दिखाती है!

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4 MAY 2021 AT 4:34

"दौलत की ताक़त (23)

बिना किसी जद्दोजहद के मिली
तुझे दुनिया की हर नेअमत,
बिन मांगे ही नवाज़ा उसने इज्ज़त,
इशरत, और दौलत की ताक़त,
लालच, ख़ुदग़र्जी, और तकब्बुर
के नशे में चूर जब तुम रहने लगे,
दौलत की ताक़त दिखा मज़लूमों
पर बेतहाशा ज़ुल्म करने लगे,
मज़लूमों की आहह पहुँचने
लगी फिर ख़ुदा के अर्श तक,
वक्त ने ली ऐसी करवट तोड़कर
तेरा ग़ुरूर ले आया तुझे फर्श पर,
एक वक्त वो भी था जब किसी की
मजबूरियों पर बजाते तुम तालियाँ,
एक वक्त ये आया है कि उठ रही है
आज तुझ पर ही हज़ारों उंगलियां!

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8 MAY 2021 AT 17:19

"इश्क़ का पैगाम (27)"

ख़ामोश लबों पे अनकही सी... फ़रियाद है,
तू है पास मेरे, फिर भी दूरी का एहसास है,

तू ही आग़ाज़ मेरा....... तू ही इख़्तिताम है,
तू ही सफ़र मेरा तू ही मेरी मंज़िल तमाम है,

तुझसे जुदा होकर नहीं है कोई 'वजूद' मेरा,
तुझसे ही है ये साँसें तुझसे मिला ये नाम है,

बा-हिफ़ाज़त पहूँचे तुम तक ये ख़्वाहिश है,
भेजा जो तुझको हमने 'इश्क़' का पैगाम है!

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7 MAY 2021 AT 16:59

"कौन अपना कौन पराया (26)"

एक ही चेहरे में छुपे चेहरे बहुत हैं,
लबों पे हँसी दिल में राज़ गहरे बहुत हैं,
कौन अपना कौन है पराया जाने कैसे?
अब जज़्बातों पर भी लगे पहरे बहुत हैं,
मुसीबत में भी साथ छोड़ रहे हैं अपने,
रिश्तों में रंज़िशों की उठ रही लहरें बहुत हैं,
जिसको भी समझा हमदर्द अपना,
ज़ख़्म उसने ही दिल को दिए गहरे बहुत हैं,
है ख़्वाहिश रिश्तों का बगीचा बनाऊँ,
मोहब्बत के पानी से सींच एक शजर उगाऊँ,
अदावत-वो-तग़ाफुल से पाक है वो जहान,
जहाँ अपनायित की बहती नहरें बहुत हैं!

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