QUOTES ON #AANGAN

#aangan quotes

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27 JUN 2021 AT 19:29

हाँ फ़िज़ा भी तू, है मेरी मंज़िल भी तू
ऐ हमसफ़र, जिस ओर भी मैं चलूँ
हर कदम पे है, अब तेरी ही तो महक
बहती है जैसे, संग तेरे, मैं बन हवा चलूँ
हाँ फ़िज़ा भी तू, है मेरी मंज़िल भी तू 🎸🎶

उठते हैं कदम यूँ ऐसे, बहक से गए हैं
हवाओं में उड़ते, पंछियों की तरह, मैं तो उड़ूँ
तेरे प्यार के रंगों में, मैं अब रंग सी गई हूँ
घटाओं के जैसे, बादलों के संग, में हूँ बिखरुँ
हाँ फ़िज़ा भी तू, है मेरी मंज़िल भी तू 🎸🎶

तुम्हें पा के करीब यूँ, दिल मेरा मचले जो
अब ऐसे मौसम में, कैसे दुरियाँ यह सहूँ
आ जाओ तुम, बारिश की रिमझिम से
बन सावन यूँ बरसो, तन मन से भीग मैं तरूँ
हाँ फ़िज़ा भी तू, है मेरी मंज़िल भी तू 🎸🎶

अखियों के काज़ल से, बस जाओ मेरे नयनों में
हाय जागूँ सारी रतिया, तेरे सपने हैं मैं बुनूँ
हाय आँगन के झूले पे, बैठी हूँ तेरी यादों में
आ इक हिलोरा दे जा मुझे, हवा के इक झोंके सा तू
हाँ फ़िज़ा भी तू, है मेरी मंज़िल भी तू 🎸🎶

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31 JUL 2018 AT 5:56

जग में खो जाने वाले तो कभी-कभी मिल भी जाते हैं
लेकिन
जो कोई अपने ही आंगन में खो जाये
वो इतनी आसानी से नहीं मिलते..!

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20 MAY 2021 AT 17:30

आँगन की चिड़िया कहती हो
तो उड़ना भी सिखलाओ माँ
क्यों कैद रहूँ मैं पिंजरे में
आसमां भी दिखलाओ ना
नहीं सुना अब तक मैंने
बंधन में पंछी रहते है
कील खोल दो पिंजरे की
या फिर मुजरिम ही बुलाओ माँ

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11 SEP 2019 AT 9:14

सामना करो जो हो रहा हे उसका
हो जाने दो उसे वो हो रहा हे जिसका

आज फूल खिलेगा आँगन में वही
कल बीज बोया था जिसका।

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28 JAN 2021 AT 18:58

तेरी उंगलियो के छुअन ने...ये एहसास है कराया...
की एक नन्हा सा तारा... हमारे आंगन में मुस्काया...
हम तो खो ही गए थे...जिम्मेदारियों की राह में...
तूने ही फिर से हमें...हमारे बचपन से मिलाया...
Love you Bhanje...

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14 JUN 2021 AT 23:32

तमाम दर्द समेट लिये हैं मैंने अपने दामन में,
अब खुशियाँ बरसेगी सदा तेरे इस आँगन में।

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12 MAR 2021 AT 18:53

Dua karta hun mai
Zindagi bhar na koi daag tere daman pe pade
Kash koi din aaye aysa zindagi me
Ke tere kadam mere aangan me pade

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14 JAN 2020 AT 12:40

कहने को एक दफा हमारा भी आंगन महकता था
पर अब उन्हें बदलते हुए घर ही गुलज़ार लगते हैं!

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5 SEP 2020 AT 22:27

* मैं तुलसी हूं *

रि - रिश्ते नाते निभाने में सबसे आगे....
तु - तुलसी की तरह कड़क,

लेकिन सबके लिए दवा का काम करती हूं....
हर मुसीबत से डट कर मुकाबला कर,

अपने घर परिवार को बचाती हूं,
मैं तुलसी हूं, अपने ही आंगन की,

जिसकी ना कोई हसरत ना बीसाद,
और ना ही कोई पूछ है,

मैं......तुलसी हूं..!!!

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13 APR 2018 AT 22:41

कल रात भर जो गुनगुनाया था मैं ।
शाम ढले तेरे आँगन किनारे आया था मैं ।।

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