हाँ फ़िज़ा भी तू, है मेरी मंज़िल भी तू
ऐ हमसफ़र, जिस ओर भी मैं चलूँ
हर कदम पे है, अब तेरी ही तो महक
बहती है जैसे, संग तेरे, मैं बन हवा चलूँ
हाँ फ़िज़ा भी तू, है मेरी मंज़िल भी तू 🎸🎶
उठते हैं कदम यूँ ऐसे, बहक से गए हैं
हवाओं में उड़ते, पंछियों की तरह, मैं तो उड़ूँ
तेरे प्यार के रंगों में, मैं अब रंग सी गई हूँ
घटाओं के जैसे, बादलों के संग, में हूँ बिखरुँ
हाँ फ़िज़ा भी तू, है मेरी मंज़िल भी तू 🎸🎶
तुम्हें पा के करीब यूँ, दिल मेरा मचले जो
अब ऐसे मौसम में, कैसे दुरियाँ यह सहूँ
आ जाओ तुम, बारिश की रिमझिम से
बन सावन यूँ बरसो, तन मन से भीग मैं तरूँ
हाँ फ़िज़ा भी तू, है मेरी मंज़िल भी तू 🎸🎶
अखियों के काज़ल से, बस जाओ मेरे नयनों में
हाय जागूँ सारी रतिया, तेरे सपने हैं मैं बुनूँ
हाय आँगन के झूले पे, बैठी हूँ तेरी यादों में
आ इक हिलोरा दे जा मुझे, हवा के इक झोंके सा तू
हाँ फ़िज़ा भी तू, है मेरी मंज़िल भी तू 🎸🎶
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